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अगर अमेरिका ने रूस के सस्ते तेल पर लगाया प्रतिबंध तो क्या करेगा भारत? सरकार बोली- ‘हम निपटने के लिए तैयार’

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 2022 में जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब भारत-रूस तेल व्यापार के अभाव में कच्चे तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं.

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार (17 जुलाई) को कहा कि भारत ने वैश्विक बाजार में तेल खरीदने के अपने स्रोतों में विविधता ला दी है, इसलिए सरकार रूस के तेल निर्यात पर अमेरिका की किसी भी कार्रवाई को लेकर चिंतित नहीं है. ऊर्जा वार्ता 2025 में केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि भारत वर्तमान में 40 देशों से तेल खरीदता है, जबकि 2007 में यह संख्या 27 थी और वैश्विक बाजार में इसकी पर्याप्त आपूर्ति है.

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “बाजार में बहुत सारा तेल उपलब्ध है. ईरान और वेनेजुएला वर्तमान में प्रतिबंधों के अधीन हैं. लेकिन क्या वे हमेशा के लिए प्रतिबंधों के अधीन रहेंगे? ब्राजील, कनाडा और सहित कई अन्य देश उत्पादन बढ़ा रहे हैं. मैं अभी आपूर्ति को लेकर अनावश्यक रूप से चिंतित नहीं हूं. हमने अपने स्रोतों में विविधता ला दी है.”

ट्रंप ने रूसी तेल आयात को लेकर भारत और चीन को दी धमकी

केंद्रीय मंत्री का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंड्री सेंक्शन लगाने की घोषणा के बाद आया है. मंगलवार (15 जुलाई) को ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर यूक्रेन के साथ 50 दिनों के भीतर शांति समझौता नहीं हुआ तो वे रूस पर गंभीर व्यापार प्रतिबंध लगा देंगे. ट्रंप ने कहा कि रूसी निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिए जाएंगे. साथ ही उन्होंने रूस से तेल खरीदने वाले भारत और चीन जैसे देशों पर प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी.

भारत ने तेल की कीमतें स्थिर करने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका- पुरी

ट्रंप की धमकियों पर केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा, “मैंने ये धमकियां सुनी हैं. कुछ बयान दो विवादित पक्षों के बीच किसी मुद्दे को सुलझाने के लिए दिए जाते हैं. मॉस्को से भारत की तेल खरीद ने वैश्विक बाजार में कीमतों को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 2022 में जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब भारत-रूस तेल व्यापार के अभाव में कच्चे तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत अपने कच्चे तेल के आयात का मात्र 0.2 प्रतिशत मॉस्को से खरीदता था. आज यह लगभग 40 प्रतिशत है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “रूसी कच्चे तेल की कीमत हमेशा 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा के अंतर्गत रही है, लेकिन उस पर कभी प्रतिबंध नहीं लगे. भारत प्रतिबंधों के अधीन किसी देश से कच्चा तेल न खरीदने के अपने रुख पर अड़ा हुआ है.”

कच्चे तेल की कीमत हो सकती थी 120-130 डॉलर प्रति बैरल

वहीं, केंद्रीय मंत्री पुरी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, “रूस प्रतिदिन 90 लाख बैरल से ज्यादा उत्पादन के साथ दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल उत्पादकों में से एक है. कल्पना कीजिए कि अगर यह तेल, जो लगभग 9.7 करोड़ बैरल की वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 10 प्रतिशत है, बाजार से गायब हो जाता तो क्या होता. इससे दुनिया को अपनी खपत कम करने पर मजबूर होना पड़ता और क्योंकि उपभोक्ता आपूर्ति की तलाश में होते, इसलिए कीमतें 120-130 डॉलर से भी ज्यादा हो जातीं.”

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