
“मैं राजनीति नहीं, आपकी सेवा के लिए आपके द्वार आया हूँ,” – विधायक अनुज शर्मा
धरसींवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक अनुज शर्मा ने बुधवार को ग्राम पंचायत मोतिमपुर (परसदा), मधईपुर, छड़िया, आलेसुर और पचरी में जनचौपाल का आयोजन कर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना और उनके समाधान का भरोसा दिलाया। इस अवसर पर विधायक ने कहा, “जनता का विश्वास मेरी सबसे बड़ी ताकत है। मैं नाम या पद के लिए नहीं, बल्कि आपकी सेवा के लिए आपके बीच हूँ। आप मेरे परिवार हैं, और आपके हर सुख-दुख में मेरी भागीदारी हमेशा रहेगी।”
जनचौपाल में ग्रामीणों ने अपनी समस्याएँ साझा कीं। मोतिमपुर-परसदा खुर्द की जर्जर सड़क, जो पिछले 30 वर्षों से बनने की माँग में अटकी थी, को लेकर विधायक ने तत्काल प्रस्ताव भेजकर कार्रवाई शुरू की। ग्राम आलेसुर में बच्चों की समस्याओं को देखते हुए स्कूल में प्रार्थना शेड, किचन शेड और शौचालय निर्माण की घोषणा की गई। इसके अलावा, विधायक ने मोतिमपुर स्कूल में 10 लाख रुपये की लागत से बनने वाले प्रार्थना शेड का भूमिपूजन भी किया।
नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड की लोकसुनवाई पर रोक की माँग
पांचों गाँवों की प्रमुख समस्या नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड की खदान से संबंधित लोकसुनवाई को लेकर रही। विधायक अनुज शर्मा ने बताया कि उन्होंने पहले भी दो बार इस लोकसुनवाई को निरस्त करवाया था। आगामी 26 जुलाई को प्रस्तावित लोकसुनवाई को रद्द करने के लिए उन्होंने विधानसभा के मानसून सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से ग्रामीणों की माँग को शासन तक पहुँचाया है। साथ ही, मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाया है।
पर्यावरण के प्रति संकल्प: एक पेड़ माँ के नाम
जनचौपाल के दौरान विधायक ने सभी पंचायतों में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत वृक्षारोपण किया, जिसे ग्रामीणों ने सराहा।
कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब
इस जनचौपाल में विधायक पद्मश्री अनुज शर्मा के साथ श्री नवीन अग्रवाल, श्रीमती स्वाति वर्मा, श्री टिकेश्वर मनहरे, श्री सुरेंद्र वर्मा, समस्त सरपंच और बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने विधायक के इस जनसंपर्क और त्वरित कार्रवाई के रवैये की जमकर सराहना की।
धरसींवा के विकास के लिए प्रतिबद्ध
अनुज शर्मा ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का समाधान उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “यदि किसी कारणवश मैं आपके किसी कार्यक्रम में नहीं पहुँच पाया, तो इसे अन्यथा न लें। मैं निश्चित रूप से किसी न किसी दिन आपसे मिलने अवश्य आऊँगा।”
यह जनचौपाल न केवल ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने का मंच बनी, बल्कि विकास और विश्वास के नए आयाम भी स्थापित किए।