
देवरी क्षेत्र का एकमात्र सरकारी अस्पताल लगातार अव्यवस्थाओं और डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण चर्चा में बना हुआ है। बीती रात 9 बजे जनपद अध्यक्ष कांतिप्रकाश सोनबरसा एक ग्रामीण के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर नदारद थे। फोन करने पर भी डॉक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया। इस स्थिति से नाराज जनपद अध्यक्ष ने उच्चाधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने भी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
अस्पताल बना रेफर सेंटर, मरीज परेशान
देवरी का यह अस्पताल क्षेत्र का एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र है, जो अब केवल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। मरीजों को इलाज के लिए बार-बार अन्य शहरों के अस्पतालों में भेजा जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आए दिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नर्स और अन्य स्टाफ भी डॉक्टरों की कमी के कारण असमंजस में रहते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।
बार-बार शिकायत, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
स्थानीय लोगों और अस्पताल स्टाफ ने कई बार उच्चाधिकारियों से डॉक्टरों की अनुपस्थिति और अन्य समस्याओं की शिकायत की है, लेकिन हर बार बहाने बनाकर मामले को टाल दिया जाता है। इस स्थिति से तंग आकर जनपद अध्यक्ष कांतिप्रकाश सोनबरसा ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अस्पताल की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर अस्पताल में तालाबंदी की जाएगी।
बड़ी अनहोनी की आशंका
लगातार डॉक्टरों की अनुपस्थिति और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण क्षेत्रवासियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए तो किसी बड़ी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
जनपद अध्यक्ष की मांग
जनपद अध्यक्ष ने मांग की है कि अस्पताल में नियमित रूप से डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया जाए। उन्होंने कहा, “हमारा क्षेत्र स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उपेक्षित है। उच्चाधिकारियों को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए, वरना हम मजबूरन तालाबंदी जैसे कदम उठाएंगे।”
निष्कर्ष
देवरी अस्पताल की स्थिति क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को दर्शाती है। उच्चाधिकारियों की उदासीनता और डॉक्टरों की अनुपस्थिति ने मरीजों के साथ-साथ स्टाफ को भी परेशानी में डाल दिया है। अब देखना यह है कि जनपद अध्यक्ष की चेतावनी के बाद प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।